अटल वाणी - 567
*जीवन दर्शन*
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निश्चिंत होकर जियें
जो वे कराएं कीजिये
सृष्टि को समझिये
दृष्टि अपनी खोलिये !
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डॉ श्याम अटल
*जीवन दर्शन*
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निश्चिंत होकर जियें
जो वे कराएं कीजिये
सृष्टि को समझिये
दृष्टि अपनी खोलिये !
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डॉ श्याम अटल
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